पूर्वांचल प्रहरी संवाददाता
सरकार व गैर सरकारी संस्थान तथा अन्य विभिन्न प्रतिष्ठान पौधारोपण के जरिए पर्यावरण को हरा-भरा व स्वच्छ करने पर जोर दे रहे हैं,वहीं दिसपुर के बीचों-बीच धड़ल्ले से पेड़ों की कटाई हो रही है। गुवाहाटी रेहाबाड़ी के 22एके आजाद रोड पर बनाए जा रहे फ्लाइओवर के लिए पर्यावरण की चिंता किए बिना 100 साल पुराने तीन वृक्षों को धराशाई कर दिया जिसके चलते रेहाबाड़ी के बुजुर्ग एवं सदियों से रह रहे लोगों के मन में भारी टीस है। अब यहां सवाल उठता है कि फ्लाईओवर बनाने के लिए पर्यावरण को नुकसान कितना जायज है? यह बात रेहाबाड़ी में देखने को मिली। प्राप्त जानकारी के अनुसार दिसपुर में चल रहे फ्लाईओवर के निर्माण को लेकर पिछले दो दिनों से दिसपुर लास्ट गेट व जनता भवन की शोभा बढ़ा रहे सैकड़ों वर्षों के पेड़ों को मिनटों में मशीनों से काट दिया गया। मामले पर पूर्वांचल प्रहरी ने स्थानीय व्यवसायियों से बात की जहां उन्होंने बताया कि सरकार जहां पेड़ों को बचाने का काम कर रही है, वहीं दूसरी ओर इनकी कटाई भी कर रही है। बाहरी राज्य हो या विदेश, पेड़ों की कटाई के बिना सड़कों का विकास संभव है। परंतु उस प्रकार के आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल न कर इनकी कटाई निंदाजनक है। पर्यावरण चिंतक व लायंस क्लब ऑफ गुवाहाटी के पूर्व अध्यक्ष पारसमल जैन ने चिंता करते हुए बताया कि वर्षों पुरानी घने छायादार व पर्यावरण में ऑक्सीजन प्रदान करने वाले तीन वृक्षों को फ्लाइओवर सर्विस रोड बनाने के नाम पर काट दिया गया। सर्विस रोड के बगल में बनने वाले नालों के लिए भी एक वृक्ष को काट दिया गया एवं आगे भी कुछ वृक्ष कटने वाले हैं। जबकि इस कार्य को नजरअंदाज भी किया जा सकता था एवं नाले को थोड़ा मोड़ कर निकाला जा सकता था। ताकि कम से कम तीसरा वृक्ष तो बचा रहे। मगर यह नहीं किया गया। उक्त पेड़ों को वन विभाग की अनुमति से बड़ी बड़ी जेसीबी मशीनों से काटा गया। ग्रीन ट्रिब्यूनल की नजर भी इन वृक्षों के बचाने पर नहीं पड़ी। इसके अलावा एक और पुराने वृक्ष जिनकी भी जल्द ही कटाई होने वाली है। अर्थात एक सुविधा देने के नाम पर एक असुविधा को जन्म दिया जा रहा है। अगर विकास के नाम पर इसी तरह हरियाली ही खत्म होती गई तो पर्यावरण का संतुलन बिगड़ने के चलते लोगों को स्वच्छ हवा में सांस लेना भी मुश्किल हो जाएगा।