पूर्वांचल प्रहरी स्टॉफ रिपोर्टर
राज्य में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (एनआरसी) फिर चर्चा में आ गया है। असम के विदेशी ट्रिब्यूनल ने 2019 में आई एनआरसी की लिस्ट को फाइनल लिस्ट कहा, जबकि रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (आरजीआई) ने अब तक इसे कानूनी दस्तावेज नहीं माना है। असम के करीमगंज जिले में फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल ने एक शख्स को इस लिस्ट के आधार पर भारतीय नागरिक बताया है। बता दें कि 31 अगस्त 2019 को एनआरसी लिस्ट सामने आई थी। लेकिन अभी तक आरजीआई ने इसे कानूनी दस्तावेज घोषित नहीं किया है। फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल ने बिक्रम सिंह नाम के शख्स को भारतीय नागरिक मान लिया। उनका नाम एनआरसी लिस्ट में आया था। फैसला देते हुए फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल ने कहा कि जिनका नाम एनआरसी में आया है उनके अभी राष्ट्रीय पहचान पत्र नहीं आए हैं, लेकिन इसमें कोई शक नहीं है कि एनआरसी लिस्ट जो 2019 में आई वह कुछ और नहीं बल्कि फाइनल लिस्ट है। दरअसल, असम पुलिस ने 2008 में बिक्रम सिंह के खिलाफ एक केस दर्ज किया था और उन्हें डी वोटर यानी डाउटफुल वोटर माना था। फिर यह केस (केस नंबर 129.2017) फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल को ट्रांसफर किया गया। इस साल के जून तक शख्स को डी-वोटर कैटेगिरी में ही रखा गया था। बिक्रम फिलहाल बेंगलुरु में काम करते हैं। बिक्रम ने फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल के सामने अपनी नागरिकता दिखाने के लिए कई प्रमाण दिए थे, जिसमें 1968 में उनके दादा के नाम से जमीन, पिता के प्रूफ जो कि भारतीय वायु सेना में थे। इसके अलावा एनआरसी लिस्ट, वोटर लिस्ट, आधार कार्ड आदि की कॉपी भी दी गई थी। लेकिन उनके पास 1966 से पहले के कोई प्रमाण नहीं थे जिसे फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल में भी उठाया गया था। लेकिन सारे सबूत देखने के बाद फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल ने अपने फैसले में कहा कि हम मानते हैं कि बिक्रम विदेशी नहीं बल्कि भारतीय नागरिक हैं। बता दें कि फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल को असम सरकार की तरफ से पहले ही आदेश मिला हुआ है कि वह कोई अहम ऑर्डर या निर्देश नहीं देगा, बस अपनी राय देगा। फैसले देने पर सरकारी विभाग (असम पॉलिटिकल डिपार्टमेंट) ने नाराजगी भी जताई थी और आदेश का पालन करने को कहा था।