पेरिस का लौवर संग्रहालय संसार का दूसरा सबसे बड़ा संग्रहालय है। विश्व में सर्वाधिक दर्शक इसको देखने आते हैं। यह एक ऐतिहासिक संग्रहालय है क्योंकि इसमें पागैतिहासिक काल से लेकर उन्नीसवीं  सदी तक की वस्तुएं संग्रहित हैं। यह पेरिस का प्रमुख दर्शनीय स्थल है। यह सीन नदी के किनारेे पर स्थित है। संग्रहालय का भवन पहले लौवर का राजमहल था। इसका क्षेत्रफल लगभग 60,600 वर्ग मीटर है तथा इसमें लगभग 35,000 वस्तुएं संगृहित हैं। लियोनार्दो दा विंची की मोनालिसा नामक जगत प्रसिद्ध पेंटिंग इस संग्रहालय की विशेष आकर्षण है।  इसीलिए इसे मोनालिसा का घर भी कहते हैं। यह लौवर पैलेस में स्थित है, जिसे मूल रूप से फिलिप द्वितीय ने 12 वीं से 13 वीं शताब्दी के अंत में बनवाया था। इसके तहखाने में मध्यकालीन लौवर किले के अवशेष दिखाई देते हैं।

शहरी विस्तार के कारण किले ने अंतत: अपना रक्षात्मक कार्य खो दिया और 1546 में फ्रांसिस प्रथम ने इसे फ्रांंसीसी राजाओं के प्राथमिक निवास में परिवर्तित कर दिया। वर्तमान लौवर पैलेस को बचाए रखने के लिए इमारत को कई बार बढ़ाया गया था। 1682 में लुई-ङ्गढ्ढङ्क ने वर्साय के महल को चुना। 1692 में इस इमारत पर एकेडेमी डेस इंस्क्रिप्शन्स एट बेलेस-लेट्रेस और एकडेमी रोयाले डी पिंट्योर एट डी स्कल्पचर का कब्जा था। अकादमी लौवर में 100 वर्षों तक रही। फ्रांस की क्रांति के दौरान  नेशनल असेंबली ने फैसला किया कि लौवर को देश की उत्कृष्ट कृतियों को प्रदर्शित करने के लिए एक संग्रहालय के रूप में  परिवर्तित किया जाना चाहिए।

संग्रहालय 10 अगस्त 1793 को 537 चित्रों की एक प्रदर्शनी के साथ खोला गया, जिसमें अधिकांश काम शाही और जब्त चर्च की संपत्ति है। इमारत के साथ संरचनात्मक समस्याओं के कारण संग्रहालय को 1796 में 1801 तक बंद कर दिया गया। संग्रह को नेपोलियन के तहत बढ़ाया गया और संग्रहालय का नाम बदलकर मुसी नेपोलियन कर दिया गया, लेकिन नेपोलियन के बाद उसकी सेनाओं  की ओर से जब्त किए गए कई काम उनके मूल मालिकों को वापस कर दिए गए थे।