दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि वह 20 सितंबर को उस याचिका पर सुनवाई करेगी जिसमें दिल्ली सरकार के स्पा में अंतरलैंगिक मसाज (पुरुष द्वारा महिला का और महिला द्वारा पुरुष का) पर रोक लगाने संबंधी दिशा-निर्देश को चुनौती दी गई है। अदालत ने यह भी जानना चाहा कि क्या इन आधारों पर स्पा के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। उल्लेखनीय है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रीय राजधानी में यौन शोषण व मानव तस्करी को रोकने के लिए स्पा और मालिश केंद्रों के संचालन के लिए नए सख्त दिशा-निर्देशों को मंजूरी दी थी, जिसमें विपरीत लिंग के व्यक्ति से मालिश कराने पर प्रतिबंध लगाने का प्रावधान भी शामिल है। दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि स्पा और मसाज सेंटरों में विपरीत लिंग के व्यक्ति से मसाज कराने की अनुमति नहीं होगी। पुरुषों की मालिश के लिए पुरुष मालिशकर्ता और महिलाओं की मालिश के लिए महिला मालिशकर्ता का प्रावधान किया जाएगा। स्पा और मसाज केंद्रों को नए दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन करना होगा। दिशा-निर्देशों के तहत इन्हें स्वास्थ्य व्यवसाय का लाइसेंस प्राप्त करने के लिए अपने परिसरों में किसी भी तरह की यौन गतिविधियों और 18 साल से कम आयु के लोगों को काम पर रखने पर पूरी तरह पाबंदी लगानी होगी। आधुनिकता की आड़ में भारतीय समाज में अनैतिकता उचित नही है। स्पा व मसाज आज के समय में फैशन जैसी चीजों की मांग है परंतु फैशन के लिए सब कुछ ठीक नही है। उनका कहना है कि आज कल एक साथ लड़किया व लड़के पढ़ाई करने के साथ ही सामान पढ़ाई के साथ -साथ दोनो सामान काम भी कर रहे हैं। यहां तक ही हर क्षेत्र में दोनो की भागीदारी भी बढ़ रही है, परंतु कुछेक क्षेत्र में महिलाओ व पुरूषों के बीच दूरी बनाने को कहा गया है। किसी भी काम को प्रोफेशनल के हिसाब से लेना चाहिए,उसे महिला व पुरुष के बीच में बांटना नही चाहिए क्योंकि हम जब बीमार होते हैं। इसके साथ ही अपनी सोच को बदलनी चाहिए। इलाज कराने के लिए चिकित्सक के पास जाते हैं, चिकित्सक यह नहीं देखता कि मरीज पुरुष या महिला, वहीं इलाज कराने वाला भी यह नहीं देखता कि चिकित्सक महिला है या पुरुष । समाज में समानता व सोच में बदलाव से अपने आप आप संभव नहीं है-जैसे बादल के बिना बरसात नही हो सकती और बरसात के बिना बादल नही बन सकते,वैसे ही नर के बिना नारी व नारी के बिना नर नहीं। दोनो ही मिलकर संर्पूणता को दर्शाते हैंऔर संपूर्णता का मतलब ही श्रेष्ठता है।
दामोदर धीरासरिया का कहना है कि समय के हिसाब से आधुनिकता जरूरी है, समयानुसार बदलाव भी जरूरी है,परंतु आधुनिकता की आड़ में भारतीय समाज में अनैतिकता उचित नहीं है। स्पा व मसाज आज के समय में फैशन की श्रेणी में आते हैं, ऐसी चीजों की मांग फैशन के लिए ठीक नहीं है। उनका कहना है कि आज कल एक साथ लड़कियां व लड़के पढ़ाई करने के साथ ही दफ्तरों में साथ -साथ काम भी कर रहे हैं। यहां तक कि हर क्षेत्र में दोनो की भागीदारी भी बढ़ रही है, परंतु कुछेक क्षेत्र में महिलाओं व पुरूषों के बीच दूरी जरुरी है, अगर समय रहते ऐसे कार्यों पर रोक नहीं लगा तो समाज में इसका और बुरा प्रभाव पड़ेगा और भविष्य प्रभावित होगा।
पूनम करमचंदानी की मानें तो आमतौर पर लोग आराम और अधिक आराम महसूस करने के लिए मालिश करवाते हैं। ऐसे में एक पुरुष मालिशकर्ता उस उद्देश्य को विशेष रूप से कमजोर कर सकता है क्योंकि हमारी संस्कृति में पुरुष महिलाओं को आनंद की वस्तु के रूप में देखते हैं जिससे किसी भी प्रकार के शारीरिक संपर्क में स्पष्ट असुविधा होती है। आत्म-चेतना भी इसमें एक बड़ी भूमिका निभाती है और महिलाएं अन्य महिलाओं के सामने कपड़ों के बिना अधिक आरामदायक महसूस करती हैं, यही कारण है कि दुनिया में हर जगह दोनों लिंगों के लिए अलग-अलग चेंजिंग रूम हैं। अंत में मुझे लगता है कि जब तक लोग नग्नता को सेक्स के साथ जोड़ते रहेंगे,तब तक समाज में ऐसी बहस चलती रहेगी।
कमल आलमपुरिया का कहना है कि देशभर के स्पा पार्लरों में अंतर लैंगिक मसाज तेजी के साथ फल-फूल रहा है और यहां पर कथित रुप से सेक्स रैकेट चलने जैसी हरकतों का पर्दाफाश होते रहता है। स्पा के ज्यादातर विज्ञापनों में ऐसे प्रलोभन भी होते हैं कि ऐसे प्रलोभनों को देखकर हर किसी के दिमाग में मसाज की कुछ और ही तस्वीर उभरती है। स्पा में अंतर लैंगिक मसाज (पुरुष द्वारा महिला का और महिला द्वारा पुरुष का) का समर्थन करना उचित नहीं है तथा न्यायालय से अनुरोध है इसे बैन किया जाए। साथ ही अंतर लैंगिक मसाज करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए। मैं सरकार से भी अनुरोध करता हूं कि ऐसे समाज विरोधी कृत्य के खिलाफ कठोर कानून बनाया जाए ताकि भविष्य और प्रभावित न हो।
संजय तिवारी का कहना है कि बदले हुए समय के साथ ही लाइट,कैमरा एक्शन और परिधान के साथ -साथ हेयर कटिंग के लिए सैलून के साथ ही स्पा और मसाज सेंटरों भी खुलने लगे हैं। आज के समय में महिलाएं भी किसी से कम नही है। हर महिला व पुरूष, सुंदर, रुपवान और आकर्षक दिखना चाहते हैं। ऐसे समय में अगर रुप का वर्णन हो तो नारी श्रेष्ठ होती है और अगर साहस को वर्णन किया जाए तो पुरूष श्रेष्ठ होता है। लेकिन अगर संर्पूणता का वर्णन हो तो क्या कोई अकेला लिंग है श्रेष्ठ हो सकता है? समाज में समानता लाएं तो आपकी सोच अपने आप शुद्ध हो जाएगी। जैसे बादल के बिना बरसात नहीं हो सकती और बरसात के बिना बादल नहीं बन सकते, वैसे ही नर के बिना नारी व नारी के बिना नर नहीं।
गुंजन अग्रवाल ने बताया कि अंतरलैंगिक स्पा केंद्र युवाओं में आकर्षक केंद्र के रूप में उभर रहे हैं। प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवनकाल में कम से कम एक बार ऐसे स्पा में जाने की इच्छा रखता है, लेकिन जो इस तरह के स्पा में जाते हैं,वह आदत से मजबूर हो जाते हैं। यह आदत यही नहीं है, बल्कि बुरी गतिविधियों में लिप्त होने का मार्ग प्रशस्त करता है। इससे व्यक्ति नैतिक रुप से गिर जाता है। समाज में कार्यरत एनजीओ और अधिकृत लोगों द्वारा प्रतिदिन कई लड़कियों को इस जाल से बचाया जाता है। इस तरह की बदनामी के कई मामले रोजाना दर्ज होते हैं। इस संबंध में विभिन्न कानून पहले से मौजूद हैं, संशोधित किए जा रहे हैं या पारित किए जा रहे हैं। ऐसे में कहा जा सकता है कि दिल्ली सरकार ने जो निर्णय लिया है, वह सही है।
विशाल दममाणी का कहना है कि भारतीय संस्कृति भी हमें यही सिखाती है कि पुरुष और महिला के बीच एक दायरा होना चाहिए । हमारे देश की संस्कृति सर्वोपरि है एवं हमें इसे बचाने के लिए अपना योगदान देना चाहिए। विपरीत लिंग के व्यक्ति से मालिश कराने पर प्रतिबंध लगाने का प्रावधान भी शामिल है। दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि स्पा और मसाज सेंटरों में विपरीत लिंग के व्यक्ति से मसाज कराने की अनुमति नहीं होगी। पुरुषों की मालिश के लिए पुरुष मालिशकर्ता और महिलाओं की मालिश के लिए महिला मालिशकर्ता का प्रावधान किया जाएगा। स्पा और मसाज केंद्रों को नए दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन करना होगा। हमें ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिए, जिससे हमारी नैतिक पर समाज के लोग सवाल उठाएं।
हर्षिता अग्रवाल का कहना है कि किसी भी काम को प्रोफेशन के हिसाब से लेना चाहिए,उसे महिला व पुरुष के बीच में बांटना नही चाहिए क्योंकि हम जब बीमार होते हैं। इलाज कराने के लिए चिकित्सक के पास जाते हैं, चिकित्सक यह नहीं देखता कि मरीज पुरुष है या महिला, वही इलाज कराने वाला भी यह नहीं देखता कि चिकित्सक महिला है या पुरुष ,वहीं सेवादार के रूप में कार्यरत नर्स भी यह नहीं देखती हैं कि सेवा करने वाला पुरुष या महिला फिर हम भला इसमें विभेद क्यों करें,कपड़ा सिलाई करनेवाला टेलर सिलाई करते समय यह हीं देखता है। इसी तरह से ब्यूटी पार्लर स्पा व मसाज पार्लर में भी कार्यरत सभी इस काम को अपने सेवा समझ कर करते हैं। ऐसे में हमें अपनी सोच को बदलनी चाहिए।
विद्यानंद झा की माने तो आज के आधुनिकतावादी समय में समाज भी इसके ओर आकर्षित हो रहा है,जिसका असर युवाओं पर अधिक पर रहा है। स्पा में अंतरलैंगिक मसाज केंद्र व्यापरिक रुप से सही है,परंतु 80 प्रतिशत स्पा में आज-कल गलत काम होता है। इसके साथ ही इससे समाज में गलत व बुरा संदेश जा रहा है। साथ ही इससे सभी की पेरशानी बढ़ रही है। इसके साथ ही इसमे काम करने वालो भी गलत नजरिए से देखे जाते है। मेरे हिसाब से स्पा में अंतरलैंगिक मसाज वाले स्थल पर सीसीटीवी कैमरा लगाना चाहिए ताकि हर तरह की गतिविधियों पर नजर रखी जा सके। हो सके तो स्पा,सैलून व नूनिकेक्स सैलून को छोड़ कर सभी अंतरलैंगिक मसाज केंद्र को बंद कर देना चाहिए।
प्रस्तुति : बलदेव पांडेय