काजीरंगा में बाढ़ की परिस्थिति अधिक जटिल समस्या बनती जा रही है। इसको ध्यान में रखते हुए काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के वन संरक्षक तत्परता से इसका हल निकालने में लगे हुए हैं। काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के वन्यप्राणी को सुरक्षा देने के साथ-साथ राष्ट्रीय उद्यान के विभागीय हाथियों की भी सुरक्षा कर रहे हैं। काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के अवैतनिक कर्मचारी के रूप में नियोजित 65 विभागीय हाथियों को भी समान रूप से जिम्मेदारी दी गई है। काजीरंगा के अंतर्भाग में विभिन्न कैंपो में नियोजित विभागीय हाथियों के दल को उद्यान के भीतर से स्थानांतरित करके बाहर की ओर किया गया है। बाढ़ की समस्या को देखते हुए काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के अंतर्भाग में बाढ़ से प्रभावित सभी वनशिविरों से विभागीय हाथी दल के द्वारा काजीरंगा के दक्षिण में स्थित कार्बी पहाड़ के निचले इलाकों में लाया जा रहा है। राष्ट्रीय उद्यान के ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे स्थित एक के बाद एक वनशिविर बाढ़ के पानी के बहाव में टूटते हुए विलीन होते जा रहे हैं। काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के कोहोरा वनांचल में 39, बागोरी वनांचल में 33, अगरतली वनांचल में 32 और बूढ़ापहाड़ में 11 के अलावा उत्तर वनांचल में 13 वनशिविरों को लेकर कुल 153 वनशिविर पानी के बहाव में ब्रह्मपुत्र नद में समा गए हैं। राष्ट्रीय उद्यान में बाढ़ का पानी आने के साथ ही साथ अधिकांश वन्यप्राणी कार्बी पहाड़ के तरफ 37 नंबर राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे आश्रय लिए हुए हैं। कार्बी पहाड़ की ओर गमन करने वाले वन्यप्राणियों को देखते हुए वनशिविरो को सचेत रहने को कहा गया है। वन्यप्राणियों के सुविधा एवं सुरक्षा देने हेतु अन्य वनांचल के वनकर्मियों को बुलाया गया है। बाढ़ की समस्या को देखते हुए काजीरंगा के 37 नंबर राष्ट्रीय राजमार्ग की ओर बढ़ने वाले वन्यप्राणियों की सुरक्षा व्यवस्था हेतु टाइम कार्ड में परिवर्तन करने के साथ धारा 144 भी लागू किया गया हैं।