गुवाहाटी : असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) अनिश्चितता और चुनौतियों का विषय बना हुआ है, जिससे लाखों स्थानीय निवासी अपने आधार कार्ड की अनुपलब्धता के कारण संकट में हैं। उल्लेखनीय है कि एनआरसी की जब सूची जारी की गई थी, तब बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों का नाम छूट गया था। जिसके कारण ऐसे लोगों को मानसिक प्रताड़ना का शिकार होने के साथ ही आर्थिक रूप से भी परेशानी झेलनी पड़ी थी। मालूम हो कि एनआरसी जिसे शुरू में व्यक्तियों की नागरिकता को सत्यापित और प्रमाणित करने के लिए तैयार किया गया था, लेकिन अब यह कानूनी जटिलताओं में उलझ कर रह गया है, जिसके परिणामस्वरूप लोगों के सामने विभिन्न प्रकार के गतिरोध पैदा हो गया है। उल्लेखनीय है कि आधार कार्ड जारी करने सहित विभिन्न प्रशासनिक प्रक्रियाएं प्रभावित हुई हैं। पूर्वांचल प्रहरी से बात करते हुए भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) आधार सेवा केंद्र के एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर इस समस्या का समाधान करने में असमर्थता व्यक्त करते हुए कहा कि हमारे पास इस मामले के संबंध में कोई समाधान नहीं है। एनआरसी का मामला अभी बाकी है। जल्द निर्णय लिए जाने से लोगों की परेशानी दूर हो पाएएगी।

अधिकारी ने मुद्दे की जड़ को समझाते हुए जोर देकर कहा कि यह सरकार है जिसने पूरी प्रक्रिया को रोक रखा है,जब सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर फैसला करेगी तभी समस्या हल हो जाएगी। उन्होंने कहा कि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। न्यायिक स्तर पर इसे चर्चा कर कोई एक रास्ता निकालना जरूरी है, अन्यथा आने वाले दिनों में लोगों के सामने कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि एनआरसी प्रक्रिया को आधार कार्ड जारी करने के साथ जोड़ने से स्थिति और जटिल हो गई है, जिसके कारण कम से कम 32 लाख लोगों के आधार कार्ड दुर्भाग्यपूर्ण रूप से अवरुद्ध हो गए हैं। इसने नागरिकों को असमंजस की स्थिति में छोड़ दिया है, वे विभिन्न आवश्यक सेवाओं और लाभों तक पहुंचने में असमर्थ हैं, जिनके लिए आधार प्रमाणीकरण की आवश्यकता होती है। पूर्वांचल प्रहरी से बात करते हुए एनआरसी कार्यालय के एक अधिकारी ने खुलासा किया कि उन्हें आश्चर्यजनक रूप से 29 लाख शिकायतें मिली हैं और इस मुद्दे के समाधान के लिए आधार रीप्रिंट नंबर (एआरएन) के लिए आवेदन पंजीकृत किए हैं।

हालांकि आधार कार्ड के अवरुद्ध होने के कारण उन्होंने प्रभावित लोगों के लिए एक वैकल्पिक दृष्टिकोण की सलाह दी है। एनआरसी अधिकारी ने इस मुद्दे से जूझ रहे लोगों के लिए एक संभावित समाधान की पेशकश करते हुए बताया कि जिन लोगों का आधार अवरुद्ध है, वे अपनी एनआरसी आवेदन रसीद संख्या (एआरएन) और आधार नामांकन संख्या के साथ अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। असम एनआरसी, नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 6ए में निर्धारित शर्तों द्वारा शासित है, जो उसी अधिनियम की धारा 3 के बिल्कुल विपरीत है, जो जन्म तिथि और माता-पिता के आधार पर भारतीय नागरिकता के लिए विभिन्न मानदंडों को रेखांकित करती है। राज्य गृह विभाग के एक सूत्र ने खुलासा किया कि इस जटिल मुद्दे के समाधान के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा प्रस्तुत किया गया है। इस मामले का समाधान अब न्यायपालिका के हाथों में है, आधिकारिक टिप्पणी के अनुसार, यह सुप्रीम कोर्ट पर निर्भर करता है कि मामला कब उठाया जाएगा