असम में मनाए जाने वाले त्योहारों में करम पूजा का भी एक विशेष स्थान है। यह फसलों से जुड़ा एक त्योहार है। करम पूजा प्रत्येक वर्ष भादो माह के एकादशी के दिन मनाया जाता है जो कि ग्रीगेरियन कैलेंडर के अनुसार अगस्त माह के मध्य अथवा सितंबर माह के शुरुआत में पड़ता है। यह त्योहार विशेषत: असम राज्य के चाय बागानों में काम करने वाले समुदाय के द्वारा मनाया जाता है। इस त्योहार में चाय-समुदाय के लोग अपने इष्टदेव 'करम' की पूजा-अर्चना करते हैं तथा उनसे अच्छी फसल होने की कामना करते हैं। यह तीन दिनों तक चलने वाला त्योहार है। करम पूजा में कुंवारी लड़कियां तीन दिनों तक व्रत रहतीं हैं जिन्हे 'करम नाचीज' कहा जाता है। तीन दिन बीतने के उपरांत ढोल-बाजे के साथ ये सभी लोग जंगल में जाती हैं। जंगल में ढोल-बाजे के साथ झूमर नामक नृत्य किया जाता है। वापसी में ये लोग जंगल से करम नामक पेड़ के कुछ टहनियों को घर लाते हैं तथा घर के आंगन में उसे लगा देते हैं। सभी लोग उसके चारों ओर बैठकर अपने सांस्कृतिक गीतों को गाते हैं तथा सभी पारंपरिक क्रियाकलापों का पालन करते हैं। पूजा संपन्न होने के उपरांत सभी लोग विभिन्न प्रकार के भोज का आनंद लेते हैं तथा 'हरियाÓ नामक पेय पदार्थ का भी सेवन करते हैं।
करम पूजा : असम का एक प्रमुख त्योहार
