असम विधानसभा के बजट सत्र के दौरान शुक्रवार को मवेशियों के वध, उपभोग और परिवहन को विनियमित करने के लिए एक विधेयक पारित किया, जबकि विपक्षी दलों ने सरकार द्वारा विधेयक को एक प्रवर समिति को भेजने से इनकार करने के विरोध में सदन से वाकआउट किया। विधानसभा अध्यक्ष विश्वजीत दैमारी द्वारा असम मवेशी संरक्षण विधेयक, 2021 को पारित करने की घोषणा करते ही सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायकों ने ‘भारत माता की जय’ और ‘जय श्री राम’ के नारे लगाए और मेज थपथपाई, जब विधेयक पर चर्चा हो रही थी तो राजइजर दल के एकमात्र विधायक अखिल गोगोई सदन से बहिर्गमन कर गए। विपक्षी कांग्रेस, ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने सरकार से विधेयक को विधानसभा की प्रवर समिति को समीक्षा के लिए भेजने का आग्रह किया, लेकिन मुख्यमंत्री हिमंत विश्वशर्मा ने कानून पर चर्चा पर अपने जवाब के दौरान प्रस्ताव को खारिज कर दिया। शर्मा ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि विधेयक के पीछे कोई गलत मंशा नहीं है और दावा किया कि यह सांप्रदायिक सद्भाव को मजबूत करेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि कानून किसी को भी ‘बीफ’ खाने से रोकने का इरादा नहीं रखता,लेकिन जो व्यक्ति यह खाता है, उसे दूसरों की धार्मिक भावनाओं का भी सम्मान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं हो सकता कि सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए केवल हिंदू ही जिम्मेदार हों, मुसलमानों को भी इसमें सहयोग करना चाहिए। नया कानून बन जाने पर किसी व्यक्ति को मवेशियों का वध करने पर रोक होगी, जब तक कि उसने किसी विशेष क्षेत्र के पंजीकृृत पशु चिकित्सा अधिकारी द्वारा जारी आवश्यक प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं किया हो। नए कानून के तहत यदि अधिकारियों को वैध दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए जाते हैं तो राज्य के भीतर या बाहर गोवंश के परिवहन की जांच होगी। हालांकि, किसी जिले के भीतर कृृषि उद्देश्यों के लिए मवेशियों को ले जाने पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा। इस नए कानून के तहत सभी अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होंगे।