तेजपुर: पुरुषोत्तम मास के अवसर पर श्री कृृष्ण प्रणामी महिला समिति द्वारा श्री मारवाड़ी पंचायती धर्मशाला परिसर में आयोजित मंगलमयी श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन हरिद्वार से पधारे पूज्य स्वामी नवराज प्रपन्न महाराज ने श्रीमद्भागवत की महिमा का वर्णन करते हुए बताया कि कलियुग में दोषों की अधिकता होने से पुराण रूपी सूर्य (श्रीमद्भागवत) को भगवान द्वारा प्रकट किया गया है। यह दिव्य कथा जीवन दर्शन है। प्रभु के स्वरूप, अवतार व तिरोहण को जानकर ही जीव इस शरीर को त्याग कर आध्यात्मिक लोक को प्राप्त कर लेता है।
भगवद्गीता में वॢणत है कि प्रभु ही अंतर्यामी रूप से प्रत्येक जीवात्मा के अंतर में विराजमान है। जो प्राणी आपके आदि स्वरूप का स्मरण करते हैं वे अवश्य ही इस भव सागर से पार हो जाते हैं। सेवा परायण भक्त बंधन और मोक्ष के भय से दूर जाता है। भक्त जानता है कि इस प्राकृृत जगत के स्वामी आप हैं अत: वह सब कुछ प्रभु को समॢपत कर देता है। उन्होंने कहा कि संसार के दु:खों को हल्का करना है तो श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करो, जीवन भार नहीं होगा। जो इस कथा को ठीक से समझ लेगा, उसका जीवन शुद्ध होगा। स्वामी जी ने आगे भीष्म स्तुति, कुंती स्तुति, अवतारों का वर्णन तथा राजा परीक्षित एवं भगवान शुकदेव की कथा विस्तारपूर्वक वर्णन किया। श्रद्धालु भक्तों ने श्रीमद्भागवत के उपदेशों का रसपान किया।