विशेषज्ञों का कहना है कि कई राज्यों में कोविड-19 के बढ़ते मामले और उनसे संक्रमित होने वाले की प्रभावी संख्या संकेत है कि कितनी तेजी से संक्रमण फैल रहा है लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है बल्कि एहतियात बरतने और टीकाकरण कराने की जरूरत है। वैज्ञानिकों ने इसके साथ ही जोर देकर कहा है कि इसे तीसरी लहर की शुरुआत घोषित करना बहुत जल्दबाजी होगी भारत में कोविड-19 के ग्राफ पर नजर रखने वाले और कुछ हिस्सों में मामलों में वृद्धि को रेखांकित करने वाले कई वैज्ञानिकों का कहना है कि यह भी हो सकता है कि दूसरी लहर ही समाप्त नहीं हुई हो। हरियाणा स्थित अशोक विश्वविद्यालय में भौतिक शास्त्र और जीविज्ञान विभाग में प्रोफेसर गौतम मेनन ने कहा कि फिलहाल हम दूसरी लहर की निरंतरता को देख रहे हैं बजाए कि नई कोविड-19 लहर की शुरुआत होने की। चेन्नई स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ मैथमेटिकल साइसेंज के अनुसंधानकर्ताओं ने नवीनतम विश्लेषण के मुताबिक सात मई के बाद पहली बार भारत में ‘आर’ संख्या (एक संक्रमित द्वारा दूसरे लोगों को संक्रमित करने की संभावना संख्या में) एक को पार कर गई है। महामारी के शुरुआत से ही ‘आर’ मूल्य पर नजर रख रहे चेन्नई स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ मैथमेटिकल साइसेंज के अनुसंधानकर्ता सीताभ्र सिन्हा ने कहा कि यह चिंताजनक स्थिति है कि आर की संख्या किसी एक क्षेत्र में मामले बढ़ने से नहीं बढ़े हैं बल्कि कई राज्यों में ‘आर’ मूल्य एक से अधिक हो गया है। उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा कि केरल में एक महीने से आर मूल्य एक से अधिक है जबकि पूर्वोत्तर राज्यों में जहां दूसरी लहर का प्रकोप अब तक कम नहीं हुआ है जुलाई के शुरुआत से ही यह उच्च स्तर पर बना हुआ है।
कोविड-19 के बढ़ते मामले तीसरी लहर के संकेत नहीं : वैज्ञानिक
